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RAS नतीजों में सूरतगढ़ के भाटिया आश्रम के 1-2 नहीं बल्कि 111 विद्यार्थियों ने बाजी मारी।

  अफसरों की खान हैं सूरतगढ़ का भाटिया आश्रम ,RAS नतीजों में सूरतगढ़ के भाटिया आश्रम के 1-2 नहीं बल्कि 111 विद्यार्थियों ने बाजी मारी।


सफलता कभी अमीरी गरीबी नही देखती, मेहनत हमेशा हुनार को देखती है। कई स्टूडेंट्स मोटी रकम देकर भी वो शिक्षा हासिल नही कर पाते जो भाटिया आश्रम कुछ ही रुपये में देता। सूरतगढ़ श्रीगंगानगर RAS भर्ती परीक्षा 2018 के घोषित हुए रिज़ल्ट में सूरतगढ़ (Suratgarh) के भाटिया आश्रम ने एक बार फिर अपनी श्रेष्ठता का परिचय दिया है। महज कुछ सौ रुपयों  में कोचिंग प्रदान करने वाले इस संस्थान की कामयाबी के आंकड़े मोटी फीस वसूलने वाले कोचिंग संस्थानों को हैरानी में डाल सकते हैं।


आरएएस भर्ती परीक्षा-2018 (RAS Exam 2018) के घोषित परिणामों में सूरतगढ़ के भाटिया आश्रम (Suratgarh Bhatia Ashram) के 1-2 नहीं बल्कि 111 स्टूडेंट्स ने बाजी मारी है। इन स्टूडेंट्स में केवल शहरी ही नहीं, ग्रामीण पृष्ठभूमि के भी होनहार स्टूडेंट्स शामिल हैं, जो पिछले कुछ सालों से भाटिया आश्रम में व्याख्याता प्रवीण भाटिया (Praveen Bhatia) के निर्देशन में दी गई शिक्षा की तैयारी में जुटे हुए थे। आरएएस भर्ती परीक्षा (RAS Exam) में सफल होने वाले ये विद्यार्थी अपनी सफलता का भाटिया आश्रम को देने से नही चूकते।


संस्थान की इस सफलता पर संस्थापक व्याख्याता प्रवीण भाटिया का कहना है कि वे इसको शब्दों में नही बता सकते है। भाटिया के अनुसार संस्थान में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए एक वैज्ञानिक सूत्र का प्रयोग किया जाता है, जिसके तहत छात्र को रोजाना क्लास में आने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, जिससे वे एक भी क्लास मिस ना करे। नोट्स बनाने के लिए मटेरियल दिया जाता है जिससे वे अच्छी प्रेक्टिस करे सके

(रिजल्ट के अगले दिन की खबर, अभी तक प्राप्त आंकड़े 111 हैं)

टेस्ट प्रेक्टिस करने के लिए उनको मोटिवेट किया जाता है, जिससे वे ज्यादा से ज्यादा टेस्ट सीरीज को हल करे। जिससे उनको पता चलेगा कि वो की विषय मे कमजोर है उनको किस विषय मे ज्यादा समय देना होगा, यदि वो टेस्ट सीरीज में हिस्सा नही लेंगे, तो उनको अपनी कमजोरी का पता नही चल पायेगा। स्टूडेंट्स को किसी भी प्रकार का स्टेर्स नही दिया जाता है, हमेशा उनको फ्री माइंड से पढ़ाई करने के लिए प्रेरित किया जाता है। जमकर तैयारी करने के लिए हमेशा प्रोत्साहित किया जाता है।


कई दिव्यांग छात्रों का भी हुआ सेलेक्शन।

इसमें कई दिव्यांग स्टूडेंट्स अपने हुनार को दिखाने का प्लेटफार्म दिया जाता है। आरएएस भर्ती परीक्षा में संस्थान से तैयारी करने वाले कई दिव्यांग छात्रों का भी चयन हुआ है। आर्थिक तंगी से गुजरने के बाद भी भाटिया आश्रम के सहयोग से तैयारी करने वाले ये छात्र संस्थान अपनी कामयाबी से काफी खुश है, पर अपनी सफलता के लिए भाटिया आश्रम को इसका श्रेय देना कभी नहीं भूलते हैं। कई स्टूडेंट्स की विकट परिस्थितियों को देखते हुए ये संस्थान हमेशा उन होनहार स्टूडेंट्स का साथ देती है जो इस के लायक है।


किसी भी परीक्षा को पास करने के लिए स्टूडेंट्स के मन मे पैसों को लेकर कई सवाल उठते है, पेसो की कमी के चलते वे अपने सपनो से पीछे हट जाते है। लेकिन मेहनत कभी पैसों की मोहताज नही होती। सफलता कभी अमीरी गरीबी नही देखती। ऐसे समय में जब प्रशासनिक सेवा जैसी परीक्षाओं के लिए महानगरों में मोटी रकम वसूलने वाली कोचिंग को सफलता की गारंटी माना जाता है।


उसी समय में सूरतगढ़ जैसे छोटे से शहर में महज नोट्स की फोटोकॉपी के खर्च में कोचिंग देने वाले भाटिया आश्रम की इतनी बड़ी सफलता इस बात का खंडन करती है। कह सकते हैं कि आरएएस जैसी परीक्षाओं में सफलता जरूरी है, तो केवल स्टूडेंट्स का समर्पण, कड़ी मेहनत और प्रवीण भाटिया जैसे गुरुजनों का मार्गदर्शन ही काफी है।


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