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झुंझुनूं के अनिल ने फहराया माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा।

  भारी हिमपात भी नहीं रोक सका अनिल के इरादे को, माउंट एवरेस्ट पर फहराया तिरंगा।


Jhunjhunu: Snowfall भी नहीं रोक सका Anil के इरादे को, माउंट एवरेस्ट पर फहराया तिरंगा

17 साल की उम्र में सेना में भर्ती हुए सोलाना के अनिल धनखड़ (Anil Dhankhad) ने दो अप्रैल को दिल्ली से अपना माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) का सफर शुरू किया, जिसके बाद वे बेस कैंप पहुंचे. यहां पर ट्रेनिंग और एवरेस्ट के मौसम में खुद का ढाला।

Jhunjhunu: शेरों को जन्म देती हैं झुंझुनूं की धरा, जी हा झुंझुनूं ने जितने सैनिक देश को दिये है सायद ही किसी ओर जिले ने दिये हो। वहीँ यहाँ के सैनिकों ने अपने प्राणों की बाजी लगते हुए देश को अपना सर्वोच्च बलिदान भी दिया है। आज इसी धरा के लाल ने इसका मस्तिष्क और ऊंचा किया है, वो कहते हैं ना कि इरादों में जान हो तो कोई भी मंजिल मुश्किल नहीं होती। यह बात साबित की है झुंझुनूं (Jhunjhunu) के सोलाना निवासी सेना में हवलदार अनिल ने, जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों और तूफानी मौसम में भी माउंट एवरेस्ट फतह किया है।



वो भी उन हालातों में जब खराब मौसम को देखकर 150 से ज्यादा पर्वतारोही एवरेस्ट पर चढ़ने का अपना इरादा छोड़ चुके थे। 17 साल की उम्र में सेना में भर्ती हुए सोलाना के अनिल धनखड़ (Anil Dhankhad) ने दो अप्रैल को दिल्ली से अपना माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) का सफर शुरू किया, जिसके बाद वे बेस कैंप पहुंचे. यहां पर ट्रेनिंग और एवरेस्ट के मौसम में खुद का ढाला।


इस दौरान वे एक के बाद एक कैंप पर बढते चले गए लेकिन जब 24 मई को दो नंबर कैंप पर पहुंचे तो बर्फीली हवाओं, तूफान और स्नो फॉल के कारण सफर आगे नहीं बढ सका. इस दरमियान 150 से ज्यादा पर्वतारोही वापिस चले गए ।लेकिन अनिल धनखड़ अपने अन्य साथियों के साथ कैंप में डटे रहे।



तिरंगा फहराकर गौरव से भर गए अनिल
छह दिन के बाद जब थोड़ा मौसम ठीक हुआ तो उन्होंने फिर सफर किया और तय किया कि इस मौसम में कहीं ठहरना ठीक नहीं। उन्होंने कैंप नंबर तीन में ठहरे बिना सीधा कैंप 4 के लिए कूच किया और 31 मई की रात को शुरू किया एवरेस्ट फतह का सफर 1 जून को सुबह छह बजे पूरा किया और सबसे उंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा लहराया। अनिल धनखड़ ने बताया कि उनके लिए यह गौरव का पल था कि उन्होंने सबसे उंची चोटी पर भारत का तिरंगा लहराया है।


बचपन से होनहार और निडर है अनिल
ग्रामीणों ने बताया कि अनिल बचपन से ही होनहार, निडर एवं साहसी है. अनिल 29 अप्रैल 2002 आठ महार रेजीमेंट में पोस्टिंग के दौरान आर्मी क्रॉस कंट्री वर्ष 2006/7/8 में विजेता रहे. हाई एल्टीट्यूड वार फेयर स्कूल गुलमर्ग से वर्ष 2009-10 में माउंटेनियरिंग का कोर्स किया. तत्पश्चात 2010 से 2017 तक हाई एल्टीट्यूड वार फेयर स्कूल हौस में इंस्ट्रक्टर के तौर पर सेवाएं दी. इस दौरान पर्वतारोहण के अपने अभियान में वर्ष 2011 में मचोई चोटी 5420 मीटर वर्ष 2013 में त्रिशूल चोटी 7120 मीटर वर्ष 2016 में हरमुख चोटी 5660 50 वर्ष 2019 में दूसरी बार त्रिशूल चोटी 7120 मीटर वर्ष 2019 में ही मुंबा चोटी 5236 मीटर पर सफलतापूर्वक आरोहण किया।




साहसिक गतिविधियों के लिए युवाओं को प्रोत्साहित करते हैं धनकड़ 
धनकड़ निरंतर युवाओं को साहसिक गतिविधियों के लिए प्रोत्साहित करते हैं। वर्तमान में नेहरू पर्वतारोहण संस्थान उत्तरकाशी में मॉन्टेनरिंग इंस्ट्रक्टर के पद पर कार्यरत हैं. 25 मार्च 2021 को अपने माउंट एवरेस्ट के अभियान पर 7 सदस्य दल, जिसमें भारतीय सेना के दो कमीशन अधिकारी, तीन हवलदार रैंक के व दो माउंटेनियरिंग इंस्ट्रक्टर सहयोगियों के साथ 2 अप्रैल को काठमांडू और 8 अप्रैल को माउंट एवरेस्ट बेस कैंप पहुंचे और अपना 7 दिन का एक्लेम्बिकेसन पूरा किया। 21 अप्रैल को नेपाल की लबुचे चोटी 6119 मीटर पर चढ़ाई की तथा अपने आप को माउंटेन की परिस्थिति के अनुसार ढाला।

अद्भुत रहा तिरंगा फहराने का पल

21 मई को खराब मौसम व कम समय होने की वजह से बेस कैंप से सीधा कैंप टू पहुंचे 24 मई से 28 मई तक हेवी स्नोफॉल वह तेज हवा के कारण कैम्प टू से 150 से अधिक पर्वतारोही वापस आ गए लेकिन उनकी टीम ने हिम्मत नहीं हारी और डटे रहे बर्फबारी के स्टेबल हो जाने पर 30 मई को कैंप टू से बिना कैंप थ्री में रुके वहां से 31 मई को कैंप फॉर साउथ कोल पहुंच गए 31 मई को रात 8:00 बजे अपने अंतिम पड़ाव की और निकलकर 1 जून सुबह 6:30 बजे अपने साथियों के साथ माउंट एवरेस्ट फतह किया एव राष्ट्र ध्वज तिरंगा फहराया।


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