रायमाता मंदिर गांगियासर बना छावनी, प्रशासनिक अमले सहित कई थानों की पुलिस हैं मौजूद।
बिसाऊ के पास गांगियासर गांव में स्तिथ प्रशिद्ध रायमाता मंदिर पर एक रास्ते को लेकर उपजे विवाद के बाद जिला प्रशासन के आदेश के बाद मंदिर के आसपास के पूरे क्षेत्र को पुलिस ने छावनी में तब्दील कर दिया है। रायमाता मंदिर न कि आसपास के क्षेत्र में बल्कि पूरे भारत मे आस्था का प्रतीक हैं। जहां नवरात्रों में 9 दिन तक चलने वाले मेले में देश-विदेश से श्रद्धालुओं का तांता उमड़ता हैं।
वहीँ मंदिर में गाँव के एक समुदाय विशेष ने एक रास्ते को लेकर वहाँ बड़ा विवाद पैदा कर दिया हैं। जिसको लेकर प्रशासन ने मामले की गंभीरता को देखते वहाँ आसपास के मलसीसर, बिसाऊ, झुंझुनूं सहित बगड़ थाने का जाब्ता भारी संख्या में मौजूद कर क्षेत्र को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया हैं। साथ ही में मामले की निगरानी की लिए झुंझुनूं पुलिस उपाधीक्षक, मलसीसर एसडीएम, तहसीलदार आदि अधिकारी मौका स्थिति पर मौजूद है।
मंदिर में मौजूद बिसाऊ महंत रविनाथ जी महाराज ने बताया कि गांव का यह मंदिर आपसी सौहार्द का प्रतीक हैं। परंतु फिर भी कुछ समाज घटक इस मंदिर पर राजनीति करने पर तुले हुए है। दस्तावेजों में आजादी से लेकर आजतक इस प्रकार का कोई रास्ता मौजूद नही है परन्तु कुछ लोग उच्च अधिकारियों के साथ मिल कर बेवजह मामले को बढ़ा रहे है, जो अनैतिक हैं। मंदिर प्रशासन खाली पड़ी जमीन पर गोशाला के लिए गोवंश की सुरक्षा हेतु आवश्यक कदम उठाते हुए चारदीवारी का निर्माण कर रहा हैं ताकि गोवंश की सुरक्षा पुख्ता हो सके। परन्तु यह उनको जम नही रहा हैं। में अधिकारियों से मामले को लेकर न्याय संगत न्याय करने की मांग करता हूं।
मामले के बारे में पता करने पर ग्रामीणों ने बताया कि मंदिर गोशाला की गायों की सुरक्षा हेतु बणी में चारदीवारी कर रहा है जिससे गायों की अन्य शिकारी जानवरों से रक्षा की जा सके और गायो को चरने के लिये उचित स्थान मिल सके। यह बणी वर्षो से मंदिर प्रशासन के अधीन हैं जो गाँव के विकास व पर्यटन में बहुत सहयोगी हैं। परन्तु कुछ लोग जानबूझकर इस कार्य को रुकवाने के लिये ओर मंदिर प्रशासन को परेशान करने के लिए इस विवाद को बेवजह पैदा कर रहे है । रास्ता जो लोग बता रहे हैं वह अस्थाई हैं और मंदिर प्रशासन की सहमति से प्रयोग में है। परंतु अब वही लोग उस पर अपना असवैधानिक अधिकार बता इस मामले को वेबजह तूल दे रहे है। मंदिर की जमीन के बीच से जबरदस्ती रास्ता लेने का विवाद है उत्तर दिशा में मलसीसर सड़क है और मंदिर की जमीन के दक्षिण दिशा में कोदेसर सड़क दोनों सड़क बिसाऊ रोड को आपस में जुड़ती हैं लेकिन उन सड़क के रास्ते जाने की बजाय मंदिर की जमीन के बीचो बीच मलसीसर और कोदेसर की सड़क को केवल अपने स्वार्थ के लिए जोड़ना हैं ताकि इस मार्ग की दूरी ओर कम हो जाये और मंदिर की जमीन के दो टुकड़े कर देना यही एजेंडा है इसी बात का विरोध मंदिर प्रशासन और ग्रामीण कर रहे है।
अद्भुत हैं शक्तिपीठ रायमाता की गाथा।
झुझुनूं शोखावाटी जनपद मे अनेक प्रसिद्ध शक्ति पीठ है परन्तु गंगियासर की रायमता मंदिर अपनी वैभवशाली परम्परा का अनुपम उदाहरण है। देवी के रूपमे विख्यात गागियासर स्थल है। 6 से 8 हजार की आबादी वाले इस ग्राम की देवी रायमता के प्रकटीकरण का इतिहास चम्तकारी और रोचक है। श्रुति के अनुसार 270 वर्ष पूर्व ग्राम के दक्षिण की ओर ऊॅचे टीले पर सेवापुरी नामक तपस्वी सन्त रहते थे। जिन्हो ने जिवित समाधी ली थी। अचानक पृथ्वी वही एक निश्चित स्थान पर कम्पित होने लगी और कुछ ही गहराइ से व.सं.1600 मे दुर्गामता की मूर्ति प्रकट हुई। उसी समय आवाज आयी कि मै रायमता हूॅ,तुम मेरी पूजा करो। बस क्या था यह खबर आग कि तरह गांव मे ही नही अपितु आस पास के गांवो तक फैल गई। देवी के दर्शन करने के लिए हजारो ग्रामीण वहां पहुॅच गये। बाबा सेवापुरी जी के साथ सभी की पूजा अर्चना कर वही देवी के मंदिर की स्थापना कर दी।
तत्कालीन शासक देवदत भी वहां पहुॅच गये। तत्पश्चात उसी मंदिर को भव्य रूप देने मे ग्राम के कानोडिया परिवार का योगदन शुरू होगया। लोक श्रद्धा के अनुसार यही रायमता लोकप्रिय और कलियुग की चमत्कारी देवी के रूप मे प्रसिद्ध हुई। माता के कई चमत्कार हुए चोर के बैल को उसकी पुकार पर उसे गाय बना दिया गया। तभी से यह कहरवत चरितार्थ हुई कि जय जननी मातेश्वरी गांगियासर की राय भक्तो का संकट हरो करो बैल से गाय। एक बार मीर खान पठान ने गांगिायासर ग्राम लूटने के लिए फौजो से घेर लिया तो ग्रामीण सन्त सेवापुरी महाराज की शरण मे पहुॅच कर संकट से बचने की प्राथना करने लगे। सन्त ने फौज का सामना करने को कहा और आर्शीर्वाद दिया कि तुम्हारी ही जीत होगी। परिणाम वही हुआ मीर खान की तोपे रूकगई। तोपो का मुह तक नही खुला। दूसरा रहस्य बडा हि विचित्र दिखाई दिया मीर खान ने देखा कि सिपाही कटते नजर आ रहे है रणक्षेत्र मे एक स्त्री के हाथ मे तलवार और खप्पर लिए हुए उस की फौज के सिपाहियो के सिर धड से अलग थलग कर रही है। और एक साधू हाथ मे चीमटा लिए घूम रहा है। तब मीर खां के पावं उखड गये और मैदान छोडकर भग गया। एक साधू ने मां की परीक्षा लेने के लिए उनके गहने चुरा कर जाने लगा तो वह मंदिर से बहार आकर रास्ता भूल गया। और गहनो को जमीन मे गाड दिया चलते वक्त एक झाडी मे फंस गया क्यो कि वह अन्धा होगया था। प्रातः ग्रामीणो को जानकारी मिली तो उसे उसे पकड लिया और पूछने पर उसने सब कुछ बता दिया। भेमा खाती जो पुजारी था उसने भक्तिवश अपना शीश काटकर मां को चढादिया लेकिन मां ने उसे पुनः जोड दिया। 36 वर्ष पूर्व एक चोर मां की मूर्ति चोर कर लेगया जो 10 किलो चांदी की थी लेकिन पटियाला मे वह पकडा गया। एक बार रतिनाथ जी के साथ सवामणी के लिए आयी सेठानी जो माता के दरबार मे ही कुर्सि रख कर बैठ गई थोडी ही देर मे हलवाइयो के सिलेण्डर ने आग पकडली। रतीनाथ जी यह चमत्कार जान गये सेठानी को कुर्सी से नीचे बैठाकर मां से प्रार्थना की तो आग शांत हो गइ। इस तरह के अनेकों चमत्कार बार बार हुए है।
माता जी के मेले मे विशेष आक्रषर्ण का केन्द्र दूर दराज से आये हुए पहलवानो की कुश्ती एवं कब्बडी है। यह प्रतियोगिता दो से तीन दिनो तक चलती है। प्रथम,द्वितीय व तृतीय विजेताओ को नकद देकर सम्मनानित किया जाता है। इस अवसर पर तीन दिवस तक भव्य मेला आयोजित होता है। इस लखी मेले मे दूर दराज तक के ग्रामीण लोग मेले मे सम्मलित होते है। यात्रीयो के ठहर ने के लिए धर्मशाला की सुविधा प्रदान है। इस ग्राम कि यह विशेषता है कि इस मेले मे हिन्दु और मुस्लिम सभी के परिवारो मे माता की मान्यता है। माता की सेवा मे रहे संत सर्वप्रथम शिवपुरी जी महाराज,श्रवणपुरीजी,भेला गिरीजी,खूबगिरीजी,बुद्वगिरीजी प्रथम एवं बुद्वगिरीजी द्वितीय, शांतिगिरीजी, विजयगिरीजी, वर्तमान मे बाबा दशम गिरी जी पीठ के सन्त है। इस मंदिर के अधिनस्थ 162 बीघा 18 बिस्वा जमीन ठाकुर देवदत ने पटटा सहित भेंट की थी जो रायमाता बणी के नाम से जानी जाती है।
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