झुंझुनूं जिले के प्रशिद्ध भीमसर स्थित रूपाणा धाम बालाजी मंदिर इन दिनों सुर्खियों में है ।
राजस्थान के झुंझुनूं जिले के भीमसर स्थित रूपाणा धाम बालाजी मंदिर इन दिनों सुर्खियों में है। दरअसल यहां पर करीब डेढ क्विंटल, यानि कि 150 किलो चांदी तथा एक किलो से ज्यादा सोने से रामभक्त हनुमान का सिंहासन तैयार करवाया जा रहा है। इस सिंहासन का काम चलते तो काफी दिन हो गए, लेकिन अब यह मूर्त रूप लेने को है। ऐसे में इसे देखने के लिए भी काफी संख्या में भक्तगण पहुंच रहे हैं।
जिला मुख्यालय से कुछ दूरी पर ही स्थित भीमसर गांव का रूपाणा धाम बालाजी मंदिर (Rupana Dham Balaji ) में बालाजी महाराज का सिंहासन तैयार किया जा रहा है। इस सिंहासन (throne) में करीब डेढ क्विंटल चांदी और एक किलो सोने का उपयोग लिया जा रहा है। मंदिर ट्रस्ट के सदस्य सुमित टीबड़ा ने बताया कि यह मंदिर तो वैसे 200—250 साल पुराना है, लेकिन 1987 में इस मंदिर का जीर्णोद्धार कर भक्तों द्वारा इसका भव्य निर्माण करवाया गया था। इसके बाद से उनके पिता पवन टीबड़ा पुजारी जी, मंदिर की सार संभाल कर रहे हैं।
वहीं, ट्रस्ट बनाकर इसका संचालन किया जा रहा है। 1987 के बाद से जो भी चढावा मंदिर में आया। वो मंदिर के बाहर नहीं गया। वहीं सोने—चांदी के छत्र आदि भी भक्तों द्वारा चढाए गए ,जो भी संभाल कर रखे गए थे। अब इन छत्रों को गलाकर करीब डेढ क्विंटल चांदी और एक किलो सोना तैयार करवाया गया है। जिससे बालाजी महाराज का भव्य सिंहासन तैयार किया जा रहा है। ये सिंहासन सीकर के कारीगरों द्वारा तैयार किया जा रहा है।
ट्रस्ट के सदस्य सुमित टीबड़ा ने बताया कि मंदिर की आस्था ना केवल देश के कोने—कोने में है। बल्कि विदेशों में भी है।. नेपाल और अमेरिका तक में रहने वाले भक्त बाबा से मनौतियां मांगते है और उनकी पूरी भी होती है। टीबड़ा ने बताया कि इस मंदिर में चढावे का एक पैसा भी बाहर नहीं जाता।
यही कारण है कि ट्रस्ट धार्मिक के साथ—साथ सामाजिक सरोकार भी निभा रहा है। गरीब कन्याओं की शादी हो या फिर गरीबों को मकान बनाकर देने की बात, हर काम में ट्रस्ट आगे रहता है। गांव में पाइपलाइन बिछाने में भी ट्रस्ट ने सहयोग दिया है। तो वहीं, गांव की स्कूल के विकास के साथ—साथ उसे क्रमोन्नत करवाने में भी सहयोग दिया। मंदिर के अंतर्गत गौशाला भी संचालित है, लेकिन सरकारी अनुदान नहीं लिया जाता। वहीं, गायों का दूध भी मंदिर के ही काम आता है, उसे बाहर नहीं बेचा जाता।
झुंझुनूं जिला मुख्यालय से कुछ दूरी पर ही स्थित भीमसर के रूपाणा धाम बालाजी मंदिर में साल में दो बार बड़े आयोजन होते है। अप्रैल और अक्टूबर में लगने वाले मेलों में देश के कोने—कोने से प्रवासी आते है और मनौतियां मांगते है।. हालांकि कोरोना के कारण फिलहाल यह सब थमा हुआ है. ऐसे में मंदिर को भव्य रूप देने के लिए डेढ क्विंटल चांदी तथा एक किलो सोने से मंदिर का सिंहासन तैयार करवाया जा रहा है। वहीं, आगे यह भी प्लान है मंदिर के चारों तरफ सोने या फिर चांदी से रामायण लिखवाई जाए।
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