अचार्य महाश्रमण के महाव्रती शिष्य जैन साधु जय मुनि का टमकोर में 12 दिन के प्रवास के बाद सोमवार प्रातः मंगल विहार हुआ। प्रवास के दौरान जय मुनि के साथ मुदित मुनि भी रहे। ज्ञात रहे जय मुनि हिमालय की दुर्गम पहाड़ियों से चौमासा सम्पन्न कर अपने गुरु की जन्मधरा पर विशेष कृपा कर टमकोर में आध्यात्मिक प्रवास किया जिसके बाद मुनिवर टापरा में चौमासा की तरफ विहार कर रहें है। इस दौरान उनका मार्ग चुरू,ठेलासर,रतनगढ़, राजलदेसर, लाडनूं आदि रहेगा।
जय मुनि धर्मसंघ में महाव्रती व तपस्वी साधुओं में अपना विशिष्ट स्थान रखते है। टमकोर प्रवास के दौरान उन्होंने श्रावकों को ध्यान व साधना के नव अवधान दिए,उन्होंने बताया कि इस भूमि में महापुरुषों के परमाणु हैं। यहाँ प्रवास के दौरान असीम शांति व शक्ति की अनुभूति हुई हैं। यह एक उर्वरा भूमि हैं जिसमे महाप्रज्ञ कण-कण में बसे हैं। उन्होंने श्रावको को ध्यान व साधना के केंद्र के रूप में इस धरा को विकसित करने की बात कही।
वही उनके विहार पर साध्वी सुरजप्रभा, साध्वी डॉ लावणय यशा व साध्वी नैतिक प्रभा ने मंगल कामना व्यक्त की।
विहार के दौरान जयमुनि के साथ रणजीत सिंह कोठारी, विमल चोरड़िया, विनोद चोरडिया,कमल चोरड़िया, संजय नाहटा,अनिल चोरडिया,प्रमोद नाहटा,प्रकाश चोरडिया, प्रवीण नाहटा,श्रेयांस चोरड़िया,सुरेंद्र भंसाली,लोकेश तिवाड़ी, विकास स्वामी,प्रेमचंद जांगिड़ सहित महिला मंडल की बहनें व ग्रामवासी साथ रहे।
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